मुख्य परीक्षा (Mains Examination)
मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन (General Studies in Main Exam)
मुख्य परीक्षा कुल 1750 अंकों की होती है। इनमें से 1000 अंक सामान्य अध्ययन के होते हैं, अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मुख्य परीक्षा में सफलता का निर्धारण किसी भी उम्मीदवार की सामान्य अध्ययन पर मजबूत पकड़ और प्रदर्शन के आधार पर निर्भर करता है। वर्ष 2014, 2015, 2016, 2017 एवं 2018 की मुख्य परीक्षाओं में विभिन्न वर्गों के लिये कट-ऑफ का स्तर निम्नलिखित रहा है-
वर्ग | 2014 | 2015 | 2016 | 2017 | 2018 |
सामान्य वर्ग | 678 | 676 | 787 | 809 | 774 |
अन्य पिछड़े वर्ग | 631 | 630 | 745 | 770 | 732 |
अनुसूचित जाति | 631 | 622 | 739 | 756 | 719 |
अनुसूचित जनजाति | 619 | 617 | 730 | 749 | 719 |
विकलांग वर्ग-1 (PH-1) | 609 | 580 | 713 | 734 | 711 |
विकलांग वर्ग-2 (PH-2) | 575 | 627 | 740 | 745 | 696 |
विकलांग वर्ग-3 (PH-3) | 449 | 504 | 545 | 578 | 520 |
हिंदी माध्यम से जुड़ी समस्याएँ (Problems associated with Hindi Medium)
हिंदी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को सामान्य अध्ययन से जुड़ी उन समस्याओं की समझ होनी चाहिये जो विशेष रूप से तैयारी एवं परीक्षा के दौरान उनके सामने आती हैं।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन में हिंदी माध्यम के उम्मीदवार अंग्रेजी माध्यम की तुलना में कुछ नुकसान की स्थिति में रहते हैं। उदाहरणस्वरूप, अगर हम किसी भी वर्ष के परीक्षा परिणाम में अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के सामान्य अध्ययन के अंकों की तुलना करें तो पाएंगे कि हिंदी माध्यम के उम्मीदवार औसतन 30-35 अंक पीछे रह जाते हैं। यही स्थिति दोनों माध्यमों के टॉपर्स के अंकों के बीच भी देखी जा सकती है। हालाँकि, ऐसा भी नहीं है कि यूपीएससी जानबूझकर हिंदी माध्यम के खिलाफ कोई साजिश करता है। दरअसल, यह नुकसान परीक्षा प्रणाली की आंतरिक प्रकृति के चलते होता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं–
- पहला, यह कि अंग्रेजी में जिस स्तर की अध्ययन-सामग्री उपलब्ध है, हिंदी में उस तरह की अध्ययन-सामग्री नहीं मिल पाती है। यह समस्या उन खंडों में और ज्यादा गम्भीर हो जाती है जिनका सम्बंध करेंट अफेयर्स से है। इन खंडों में मुख्य रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम और अर्थव्यवस्था शामिल हैं। गौर करने वाली बात है कि इन खंडों के लिये न सिर्फ पुस्तकों, पत्रिकाओं और ‘जर्नल्स’ में, बल्कि इंटरनेट पर भी हिंदी में स्तरीय अध्ययन-सामग्री नहीं मिल पाती है।
- दूसरा कारण यह है कि सामान्य अध्ययन की कॉपी की जाँच करने वाले अधिकांश परीक्षक अंग्रेजी में अधिक (और हिंदी में कम) सहज होने के कारण हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की अभिव्यक्ति से पूरी तरह से समन्वय नहीं बैठा पाते हैं। यह समस्या उन खंडों में और ज्यादा देखने को मिलती है, जिनमें पारिभाषिक या तकनीकी शब्दावली का अधिक प्रयोग होता है क्योंकि इन शब्दों के हिंदी अनुवाद परीक्षकों के लिये दुर्बोध होते हैं। ऐसे खंडों में भूगोल, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को मुख्य रूप से शामिल किया जा सकता है।
- ध्यातव्य है कि सिविल सेवा परीक्षा का प्रश्नपत्र मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया जाता है और हिंदी में उसका अनुवाद किया जाता है। इसलिये कभी-कभी प्रश्नपत्र में अनुवाद की गलती की वजह से भी हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि अगर अनुवादक किसी तकनीकी शब्द का अनुवाद पुस्तकों में प्रचलित अनुवाद से अलग रूप में कर दे या किसी मुहावरेदार अभिव्यक्ति को सटीक रूप में न समझ पाने के कारण अर्थ का अनर्थ कर दे तो उसकी गलती की सजा हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को भुगतनी पड़ती है।
उपर्युक्त सभी कारणों के अतिरिक्त, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये कि साक्षात्कार (Interview) में भी हिंदी माध्यम के उम्मीदवार कई बार नुकसान की स्थिति में रहते हैं।
निबंध: एक परिचय (Essay: An Introduction)
निबंध प्रश्नपत्र दो खंडों में बंटा होता है। प्रत्येक खंड में 4-4 विषय दिये होते हैं, परीक्षार्थियों को इन दोनों खंडों में से एक-एक विषय पर निबंध लिखना होता है। प्रत्येक निबंध के लिये 1000 से लेकर 1200 शब्दों की शब्द-सीमा निर्धारित की गई है और इनमें से प्रत्येक निबंध के लिये 125-125 अंक निर्धारित किये गए हैं। इस प्रकार, निबंध प्रश्नपत्र कुल 250 अंकों का होता है। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के बीच निबंध प्रश्नपत्र को लेकर मुख्य दुविधा यह रहती है कि निबंध आखिर क्या है और इसमें हमसे क्या जानने की कोशिश की जाती है? इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि परीक्षार्थी सबसे पहले यह समझें कि निबंध क्या होता है और निबंध प्रश्नपत्र में अधिक-से-अधिक अंक किस प्रकार प्राप्त किये जाएँ?
अगर साधारण भाषा में कहें तो निबंध हमारे व्यक्तित्त्व का दर्पण होता है। इस प्रश्नपत्र के पीछे यूपीएससी का उद्देश्य हमारे ज्ञान से अधिक व्यक्तित्त्व का परीक्षण करना है। निबंध लेखन के दौरान हमारा शब्द चयन हमारी संवेदनशीलता, एक सिविल सेवक के रूप में हमारी सत्यनिष्ठा और उद्देश्य के प्रति हमारी दृढ़ता एवं नैतिकता को व्यक्त करता है।
निबंध प्रश्नपत्र में दो खंड होते हैं, इनमें से किसी एक खंड में अमूर्त और दार्शनिक किस्म के विषय पर निबंध पूछे जाते हैं, जबकि दूसरे खंड में सूचना आधारित विषयों पर निबंध पूछे जाते हैं। अमूर्त व दार्शनिक प्रकृति के विषयों में जहाँ विषय का गहन विश्लेषण, विषय के प्रति हमारी समझ और उसे प्रस्तुत करने का दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण होता है, वहीं सूचना आधारित विषयों में हमें तथ्य और विश्लेषण का मिला-जुला रूप प्रस्तुत करना होता है।
निबंध प्रश्नपत्र में एक बड़ी चुनौती निर्धारित शब्द-सीमा (1000 से 1200 शब्दों) में पूछे गए विषय के सभी पक्षों को प्रस्तुत करने की है। इसके लिये आवश्यक हो जाता है कि हम दिये गए विषय की मूल-आत्मा को पहचानें और आवश्यक विषय-वस्तु को निर्धारित समय व शब्द-सीमा में प्रस्तुत करें। हालाँकि, अमूर्त प्रकृति के विषयों में हमारे पास यह स्वतंत्रता होती है कि हम विषय को अपने अनुसार परिभाषित कर सकते हैं, जैसे 2019 की मुख्य परीक्षा में यूपीएससी द्वारा पूछा गया कि ‘विवेक सत्य को खोज निकालता है’। इस विषय पर हम विवेक और सत्य की परिभाषाएँ और उनके विभिन्न पहलू अपनी समझ के अनुसार निर्धारित कर सकते हैं। लेकिन जब निबंध का विषय इससे भिन्न प्रकृति का हो, जैसे– ‘पक्षपातपूर्ण मीडिया भारत के लोकतंत्र के समक्ष एक वास्तविक खतरा है’; तो ऐसे विषय तथ्य और विश्लेषण दोनों की अपेक्षा रखते हैं। हालाँकि, यहाँ एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिये कि निबंध तथ्यों का कोरा संकलन मात्र न होकर, सूचना, भाषा, अभिव्यक्ति, विश्लेषण तथा ज्ञान का सामंजस्य है।
आखिर, निबंध की तैयारी कैसे की जाए? मुख्य परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिये यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। एक अच्छा निबंध एक-दो पुस्तकें पढ़ लेने या कोई फॉर्मूला जान लेने से नहीं बल्कि विषय की गम्भीर समझ और निरंतर अभ्यास द्वारा ही लिखा जा सकता है। साथ ही, हमें यह भी समझ लेना चाहिये कि मुख्य परीक्षा में पास होने के साथ-साथ एक अच्छा निबंध आपके अंतिम चयन में भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है, क्योंकि पूरी परीक्षा में यही एक विषय है जहाँ आप अपनी रचनात्मकता और मौलिकता के दम पर बाकी उम्मीदवारों से आगे निकल सकते हैं।